केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी: सरकार ने जीपीएफ समेत कई निधियों पर ब्याज दरें तय कीं

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) सहित कई सरकारी भविष्य निधि योजनाओं पर नई ब्याज दरों की घोषणा की है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, इन योजनाओं पर 7.1% की वार्षिक दर से ब्याज मिलेगा। यह नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं।
किन योजनाओं पर मिलेगा 7.1% ब्याज?
सरकार ने सिर्फ GPF ही नहीं, बल्कि इससे जुड़ी अन्य भविष्य निधियों पर भी समान ब्याज दरें लागू की हैं। इन योजनाओं में शामिल हैं:
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कंट्रीब्यूटरी प्रोविडेंट फंड (CPF): इसमें भी 7.1% की ब्याज दर दी जाएगी।
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ऑल इंडिया सर्विस प्रोविडेंट फंड (AISPF): इस योजना के तहत भी ब्याज दर 7.1% रखी गई है।
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राज्य रेलवे भविष्य निधि: रेलवे से जुड़े कर्मचारियों के लिए यह योजना लागू है, जिस पर अब 7.1% ब्याज मिलेगा।
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सैन्य सेवा की सामान्य भविष्य निधि योजना: सैन्य बलों के लिए लागू GPF योजना पर भी समान ब्याज दर लागू की गई है।
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इंडियन ऑर्डनेंस डिपार्टमेंट प्रोविडेंट फंड: इस विभाग के कर्मचारियों के लिए भी वही 7.1% की दर तय की गई है।
ये सभी ब्याज दरें एक तय तिमाही के लिए घोषित की गई हैं। इससे पहले की तिमाही में भी यही दरें लागू थीं, जिन्हें इस बार फिर से बरकरार रखा गया है।
क्या है जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF)?
जनरल प्रोविडेंट फंड एक ऐसी दीर्घकालिक बचत योजना है, जिसमें केवल केंद्र और राज्य सरकारों के स्थायी कर्मचारी ही हिस्सा ले सकते हैं। इसके अंतर्गत कर्मचारी अपनी मासिक सैलरी का एक निश्चित हिस्सा फंड में जमा करता है। यह राशि रिटायरमेंट के समय एकमुश्त कर्मचारी को लौटा दी जाती है, जिसमें ब्याज भी शामिल होता है।
GPF की खास बात यह है कि यह पूरी तरह सरकार द्वारा नियंत्रित होती है और निवेश पर गारंटीड रिटर्न मिलता है। आमतौर पर यह योजना उन कर्मचारियों के लिए लाभदायक मानी जाती है जो अपने रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित और सुनिश्चित बचत करना चाहते हैं।
प्रत्येक तिमाही में होती है ब्याज दर की समीक्षा
वित्त मंत्रालय समय-समय पर इन निधियों पर मिलने वाली ब्याज दरों की समीक्षा करता है और आवश्यकता पड़ने पर बदलाव करता है। यह दरें विभिन्न आर्थिक कारकों जैसे महंगाई, सरकारी बांड की यील्ड और वित्तीय बाजार की स्थिति के आधार पर तय की जाती हैं।
इस बार ब्याज दरों को यथावत रखा गया है, जिससे सरकारी कर्मचारियों को राहत मिल सकती है, खासकर तब जब मुद्रास्फीति और बाजार की अनिश्चितता के बीच सुरक्षित निवेश विकल्पों की मांग बनी हुई है।