गूगल का नया AI धमाका: जेमिनी में आया ‘नैनो बनाना’ फ़ीचर, सुंदर पिचाई ने अनोखे अंदाज़ में दी जानकारी

गूगल ने अपने AI चैटबॉट जेमिनी (Gemini) में एक नया और शक्तिशाली AI-पावर्ड फोटो एडिटिंग फ़ीचर लॉन्च किया है। इस लॉन्च की घोषणा गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक दिलचस्प अंदाज़ में की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर तीन केले के इमोजी पोस्ट किए, जो इस नए फ़ीचर के आने का संकेत था। इस फ़ीचर को कंपनी के अंदर “नैनो बनाना” (Nano Banana) कोडनेम दिया गया था, जबकि आधिकारिक तौर पर इसे ‘जेमिनी 2.5 फ्लैश इमेज’ (Gemini 2.5 Flash Image) के नाम से लॉन्च किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय श्वान दिवस (International Dog Day) के मौके पर इस फ़ीचर की क्षमताओं को दिखाने के लिए, सुंदर पिचाई ने अपने कुत्ते ‘जेफ़्री’ की कुछ AI-जनरेटेड तस्वीरें साझा कीं। इन तस्वीरों में जेफ़्री को एक सर्फर, एक काउबॉय, एक सुपरहीरो और यहाँ तक कि एक शेफ के रूप में दिखाया गया था। पिचाई ने अपने पोस्ट में लिखा, “हमारा इमेज एडिटिंग मॉडल अब @Geminiapp में रोल आउट हो रहा है – और हाँ, यह ‘बनाना’ ही है। यह अलग-अलग संदर्भों में किसी व्यक्ति या वस्तु की समानता बनाए रखने में विशेष रूप से अच्छा है। जेफ़्री की इन तस्वीरों को देखें, लेकिन इनसे धोखा न खाएं, उसे सोफे पर रहना ही ज़्यादा पसंद है।”

कैसे काम करता है ‘नैनो बनाना’ फ़ीचर?

गूगल के अनुसार, यह टूल पहले के मॉडल्स से कहीं ज़्यादा उन्नत है क्योंकि यह वास्तविक दुनिया की गहरी सिमेंटिक समझ रखता है। यूज़र्स बस एक फोटो अपलोड कर सकते हैं और बता सकते हैं कि वे क्या बदलाव चाहते हैं। इसके बाद जेमिनी मूल तस्वीर की समानता को बनाए रखते हुए एक नया संस्करण तैयार कर देगा। इस टूल की मुख्य क्षमताएं इस प्रकार हैं:

  • कॉस्ट्यूम और बैकग्राउंड में बदलाव: यह किसी व्यक्ति को अलग-अलग कपड़ों, नौकरियों या युगों में दिखा सकता है।

  • फोटो ब्लेंडिंग: यह दो तस्वीरों को आपस में मिला सकता है, जैसे कि किसी व्यक्ति और उसके पालतू जानवर को एक ही फ्रेम में लाना।

  • स्टेप-बाय-स्टेप एडिटिंग: यूज़र्स किसी स्थान को फिर से डिज़ाइन करते समय वस्तुओं को जोड़ या हटा सकते हैं।

  • डिज़ाइन मिक्सिंग: एक तस्वीर के पैटर्न या टेक्सचर को दूसरी तस्वीर पर लागू किया जा सकता है।

  • नैचुरल लैंग्वेज प्रॉम्प्ट्स: यूज़र्स केवल साधारण भाषा में कमांड देकर तस्वीर का बैकग्राउंड ब्लर कर सकते हैं, किसी वस्तु या व्यक्ति को हटा सकते हैं, पोज़ बदल सकते हैं और ब्लैक एंड व्हाइट फोटो में रंग भी भर सकते हैं।

पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, गूगल द्वारा AI से बनाई या एडिट की गई सभी तस्वीरों पर एक विज़िबल वॉटरमार्क के साथ-साथ गूगल का अदृश्य सिंथआईडी (SynthID) डिजिटल मार्कर भी लगाया जाएगा।

एंड्रॉयड इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए गूगल का बड़ा कदम

AI में नए फ़ीचर्स लाने के साथ-साथ, गूगल अपने एंड्रॉयड इकोसिस्टम की सुरक्षा को भी मज़बूत कर रहा है। कंपनी एक नई ऐप वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू करने जा रही है, जिसके तहत ऐप डेवलपर्स के लिए अपने ऐप्स को एंड्रॉयड पर उपलब्ध कराने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इस प्रक्रिया को 2026 में कुछ चुनिंदा देशों में शुरू किया जाएगा।

कंपनी के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य यूज़र्स को उन अपराधियों से बचाना है जो बार-बार मैलवेयर और स्पैम फैलाते हैं। एंड्रॉयड की प्रोडक्ट, ट्रस्ट और ग्रोथ की वाइस प्रेसिडेंट सुजैन फ्रे ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, “अगले साल से, एंड्रॉयड पर किसी भी ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यह आवश्यक होगा कि वह एक वेरिफाइड डेवलपर द्वारा रजिस्टर्ड हो। इससे एक महत्वपूर्ण जवाबदेही तय होगी, जिससे दुर्भावनापूर्ण लोगों के लिए एक हानिकारक ऐप को हटाने के बाद दूसरा ऐप फैलाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।” उन्होंने इस प्रक्रिया की तुलना एयरपोर्ट पर होने वाले आईडी चेक से की, जो यात्री की पहचान की पुष्टि करता है, न कि उनके बैग की सुरक्षा जांच करता है।

यूज़र्स की चिंताएं और गूगल का स्पष्टीकरण

हालांकि, गूगल के इस कदम की कुछ यूज़र्स ने आलोचना की है। उन्हें चिंता है कि इससे ऐप्स को साइडलोड (sideloading) करना और भी मुश्किल हो जाएगा। कुछ लोगों ने इसकी तुलना एप्पल के ऐप इकोसिस्टम से की है, जो ज़्यादा नियंत्रित (walled garden) है।

इन चिंताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए, एंड्रॉयड ने ज़ोर देकर कहा कि उनका सिस्टम एक ओपन सिस्टम बना रहेगा। कंपनी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में स्पष्ट किया, “डेवलपर्स को अपने ऐप्स सीधे यूज़र्स तक पहुंचाने या अपनी पसंद के किसी भी ऐप स्टोर का उपयोग करने की वही स्वतंत्रता होगी। हमारा मानना है कि एक ओपन सिस्टम को इसी तरह काम करना चाहिए – सभी के लिए सुरक्षा बढ़ाते हुए पसंद को बनाए रखना।”

यह वेरिफिकेशन प्रक्रिया मार्च 2026 से सभी डेवलपर्स के लिए शुरू होगी, और सितंबर 2026 से इसे ब्राजील, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड में लागू कर दिया जाएगा।